रिपोर्ट – सुमित खत्री –
हंडिया : कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी आज मनाई जाएगी | इसे देवोत्थान एकादशी देवउठनी ग्यारस और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है | ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने की निंद्रा के बाद जागते हैं | इनके जागने के बाद से सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं | हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल 24 एकादशी आती हैं | इनमें से देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व होता है | इसके बाद से ही सभी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह मुंडन मांगलिक कार्य आदि शुरू हो जाते हैं |
सुखी दांपत्य जीवन के लिए करें तुलसी विवाह –
इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है | अगर किसी व्यक्ति को कन्या नहीं है और वह जीवन में कन्यादान का सुख प्राप्त करना चाहता है तो वह तुलसी विवाह कर बह सुख भी प्राप्त कर सकता है | जिनका दांपत्य जीवन बहुत अच्छा नहीं है | वे लोग भी सुखी दांपत्य जीबन के लिए तुलसी विवाह करते हैं | युवा जो प्रेम में है लेकिन विवाह नहीं हो पा रहा है उन युवाओं को तुलसी विवाह करवाना चाहिए | तुलसी विवाह करवाने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं | तुलसी पूजा करवाने से घर में संपन्नता आती है तथा संतान योग्य होती है।
विधि विधान से करें तुलसी विवाह –
तुलसी विवाह में वे सभी चीजें शामिल की जाती हैं जो एक विवाह समारोह में होती है | जिस तरह के विवाह में लाल चुनरी का होना आवश्यक माना जाता है | उसी तरह से तुलसी विवाह में लाल चुनरी का प्रयोग करना चाहिये | तुलसी विवाह में सुहाग की सारी सामग्री के साथ लाल चुनरी जरुर चढ़ाएं | तुलसी विवाह के दौरान भगवान शालिग्राम को माता तुलसी के पास रखें | और पूजा के दौरान इस बात का ख्याल रखें कि उन पर चावल ना चढ़ाएं बल्कि इसकी जगह तिल अर्पित करें | जिस प्रकार से किसी शादी समारोह में विवाह मंडप होता है इस तरह से गन्ने का प्रयोग करके तुलसी विवाह के लिए मंडप सजाना चाहिए | माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह के दौरान दूध से भीगी हल्दी के साथ दोनों की पूजा करें |