मकड़ाई समाचार हरदा। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गुजरात से आए 18 कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के ने मप्र के किसानों को जैविक खेती के गुर सिखाए। बुधवार को हरदा से इसकी शुरुआत हुई है। गुजरात के दल ने हरदा में किसानों और कृषि अफसरों को प्राकृतिक और शून्य बजट से प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया। कृषि विभाग के ग्राम पानतलाई फार्म हाउस पर जिले के 70 से अधिक किसानों को कृषि ट्रेनर ने पीपल, पपीता, आम, बिल्व, नीम, गो मूत्र, गुड़ जैसी चीजों से जीवामृत और बीजामृत बनाना सिखाया। किसानों को प्राकृतिक खेती का फायदा बताया।
एक देशी गाय से तीस एकड़ में कर सकते हैं खेती
न्होंने बताया कि इसमें लागत कम है। इससे पैदा अनाज से स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। किसानों का कहना है कि वे अपनी कुछ खेती की भूमि में प्राकृतिक खेती की शुरुआत करेंगे ताकि हमें बीमारियों से बचाया जा सके। जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गौ मूत्र पर आधारित है। एक देशी गाय के गोबर एवं गौ मूत्र से एक किसान तीस एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती कर सकता है।
मिट्टी में पोषक तत्वों में होगी वृद्धि
देशी प्रजाति के गो वंश के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत, घनजीवामृत तथा जामन बीजामृत बनाया जाता है। इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है। जीवामृत का महीने में एक अथवा दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है। जबकि बीजामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में किया जाता है।