ब्रेकिंग
हंडिया : खनिज के अवैध उत्खनन के मामले में 44.82 लाख रुपए का अर्थ दंड लगाने के आदेश जारी हरदा कलेक्टर श्री जैन ने की बड़ी कार्यवाही: खनिज के अवैध उत्खनन के मामले में 18.67 करोड़ रुपए का अर... एक व्यक्ति एक पौधा लक्ष्य लेकर हरदा जिले मैं पौधारोपण किया जाएगा - शांतिकुमार जैसानी हंडिया : ईद पर्व को लेकर थाना परिसर में शांति समिति की बैठक संपन्न!  कलेक्टर श्री जैन ने हंडिया बैराज डेम के निर्माण कार्य सहित , सीएम राइज स्कूल व हंडिया तहसील क्षेत्र ... हरदा: पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री पटेल 7 जून को हरदा जिले का दौरा करेंगे राज्‍य निर्वाचन आयोग का अभिनव प्रयास , पेपरलेस इलेक्‍शन इस बार- सारिका खिरकिया: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर "एक पेड माँ के नाम" अभियान की शुरुआत ग्राम कुकड़ापानी में , ए... आज का मौसम: आज मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में तेज आँधी बारिश बेपरवाह लोग तो हो रहा बेलगाम कोरोना! रोजाना कोरोना के मरीज बड़ रहे लोगो में लापरवाही न मास्क न 3 फिट ...

1987 हाशिमपुरा कांड: PAC के 4 जवानों ने कोर्ट में किया सरेंडर, भेजा गया तिहाड़ जेल

मेरठः मेरठ में 31 साल पहले हुए हाशिमपुरा कांड में आरोपी 15 यूपीपीएसी जवानों में से 4 ने गुरुवार को तीस हजारी कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है। चारों जवानों को तिहाड़ जेल भेजा गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने बाकी जवानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। बता दें कि, दिल्ली हाइकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट के फैसले को पलटते हुए हाशिमपुरा कांड के आरोपी पीएसी के जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने जवानों को सरेंडर करने के लिए 22 नवंबर तक का वक्त दिया था।

- Install Android App -

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 1987 में मेरठ में हुए दंगे के बाद पीएसी के जवान हाशिमपुरा मुहल्ले के 42 मुसलमानों को अपने साथ ले गए। आरोप है कि पीएसी और पुलिस के जवानों ने सभी मुसलमानों को गंगनहर के पास खड़ाकर गोलियों से छलनी कर दिया और उनके शव नहर में फेंक दिए गए। मृतकों के घरवालों को पुलिस काफी समय तक टरकाती रही। पुलिस की तरफ से जबाव न मिलने के बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तो मामला कई अदालतों से होता हुआ अंत में सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा।

मामले में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी बनाए गए पीएसी के 19 जवानों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था, जिसे पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले में 6 सितंबर को सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था।