मकड़ाई एक्सप्रेस 24 छत्तीसगढ़ | प्रदेेश नदी-नाले,जंगल,पहाड़ से घिरा हुआ हैं। यहां के कई बसाहट कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले हैं। बारिश के मौसम में इन बसाहटों तक पहुंच पाना आसान नहीं होता लेकिन कुछ कर्मठ शासकीय कर्मचारी ऐसे भी हैं जो जान जोखिम में डालकर कर्तव्य निर्वहन कर रहे हैं।
ऐसी ही एक शिक्षिका हैं कर्मिला टोप्पो मूलतः बलरामपुर जिले के झींगों की रहने वाली कर्मिला टोप्पो की पदस्थापना वाड्रफनगर जनपद के ग्राम पंचायत गुरमुटी के आश्रित ग्राम धौरपुर के प्राथमिक पाठशाला में पदस्थ है।धौरपुर दुर्गम ग्राम हैं। बारिश के सीजन में यहां तक पहुंचना बेहद कष्टकर है। वाड्रफनगर जनपद मुख्यालय से यहां तक जाने के लिए सीधी सड़क नहीं हैं। सड़क मार्ग से जाने पर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
वाड्रफनगर से अंबिकापुर मार्ग पर 11 नंबर तक जाने के बाद रमकोला सड़क पर आगे बढ़ने के बाद जंगल के रास्ते यहां जाना पड़ता है | इसलिए वाड्रफनगर से मढ़ना होते जंगल के रास्ते ही लोग आना -जाना करते है। सूखे मौसम में तो दिक्कत नहीं होती लेकिन बारिश के मौसम में यहां जाने के लिए खतरा उठाना पड़ता है। रास्ते मे मोरन और इरिया नदी का संगम स्थल पड़ता है। इसी नदी को पार कर शिक्षिका कर्मिला टोप्पो प्राथमिक पाठशाला के बच्चों को पढ़ाने जाती हैं। शिक्षिका कर्मिला टोप्पो, वाड्रफनगर में दो बच्चों के साथ रहती है। उनके पति भी शिक्षक है। इनकी पदस्थापना जिले के दूसरे विकासखंड में है। कर्मिला टोप्पो की कर्तव्यनिष्ठा से अधिकारी भी अब उसकी प्रशंसा कर रहे हैं। प्रतिदिन वह वाड्रफनगर से स्कूटी से मढ़ना गांव पहुंचती है। स्कूटी को इसी गांव में खड़ी कर नदी पार कर लगभग तीन किलोमीटर का सफर पैदल पूरा कर स्कूल धौरपुर पहुंचती हैं। कमर तक नदी में पानी होने की स्थिति में उन्हें दिक्कत नहीं होती।बाढ़ आने पर स्कूल पहुंचना संभव नहीं होता।
कर्मिला बताती हैं कि आदिवासी परिवारों के 10 बच्चे प्राथमिक स्कूल में पढ़ते हैं। शिक्षिका कर्मिला बताती हैं कि बच्चों को शिक्षा देने की जबाबदारी मिली है।उनका प्रयास होता है कि हर बाधा को पार कर स्कूल तक पहुंचे। गांव में किराए का मकान नहीं होने के कारण ही वहां रहना भी संभव नहीं है। बलरामपुर कलेक्टर आर एक्का ने शिक्षिका की सोच को प्रेरणादायक निरूपित किया हैं।उन्होंने कहा है कि शिक्षिका कर्मिला टोप्पो जिले के दूसरे कर्मचारियों के लिए एक उदाहरण हैं कि किस प्रकार बाधाओं का सामना कर वे बच्चों को पढा रही है।उन्होंने सभी शासकीय कर्मचारियों से इसी प्रकार कर्तव्यों का निर्वहन करने आह्वान किया है। ग्राम पंचायत गुरमुटी का आश्रित ग्राम धौरपुर आदिवासी परिवारों की बसाहट हैं। यहां लगभग 100 लोग निवास करते हैं। यहां पांचवीं तक की पढ़ाई के लिए स्कूल तो है लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को भी परेशानी होती है। नजदीक का मिडिल स्कूल मढ़ना गांव में है। लेकिन यहां तक जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती है।प्रतिदिन नदी पार कर मिडिल स्कूल के बच्चे पढ़ने जाते है।बारिश में नदी में बाढ़ होने के कारण बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती।वे स्कूल नहीं जा पाते हैं।