हरदा : अजनास रैयत अजब पंचायत गजब के काम, भूतपूर्व सरपंच पति बना हुआ है। परमानेंट वेंडर, प्रतिमाह 15 से 25 हजार रुपया मिलती है। सैलरी, शीर्षक पढ़कर हैरान मत होइए लेकिन ये सच है !
हरदा : मध्यप्रदेश के मुखिया मोहन यादव ने जब से मध्यप्रदेश के मुखिया के रूप में कुर्सी संभाली है। लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही कर रहे है। कई विभागों में करोड़ो रुपए का घोटाला करने वालो पर FIR तक दर्ज करवा दी। तो कई अधिकारी तारीख पर तारीख कोर्ट में चक्कर काटने को मजबूर हो गए।
बीते दिनों हरदा जिला पंचायत सीईओ रोहित सिसोनिया ने भी सभी ग्राम पंचायतों को नोटिस जारी कर अधूरे निर्माण कार्य पूर्ण करने और नही करने की दशा में वसूली की कार्यवाही के आदेश जारी किए थे। आदेश के बाद सरपंच संघ में आक्रोश भी था। लेकिन सरकार के आदेशों का पालन करते हुए आदेश जारी किए गए। और हम आपको बता दे की पूर्व में कई अधूरे निर्माण कार्यों की रिकवरी वर्षो बीत जाने के बाद भी आज तक ग्राम पंचायतों से नही हुई।
भ्रष्टाचार के दल दल में डूबी एक ग्राम पंचायत का मामला फिर सामने आया है।
हरदा विकासखंड के ग्राम पंचायत अजनास रैयत और अजनास खुर्द में बीते दिनों मकड़ाईं समाचार की टीम ने भ्रमण किया। जब गांव की गलियों और पंचायत द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यों को देखा। तो हमारी आंखे फटी की फटी रह गई। वाह क्या विकास कार्य किए ग्राम पंचायत ने। घटिया निर्माण कार्यों की पोल खुल गई। छोटी सी ग्राम पंचायत कागजों में सड़क नाली, नल जल योजना के नाम से बीते पांच से आठ वर्षो में लाखो रुपया निकल गया। लेकिन जमीनी धरातल पर एक भी सड़क और नाली वर्तमान में अच्छी कंडीशन में नही दिखी। और नही साफ सफाई दिखाई दी।
पौधारोपण की योजना गायब –
पौधारोपण की अगर हम बात करे। तो कागजों में चाहे लाखो रुपया वृक्षारोपण के नाम से निकल गए। लेकिन तालाब और सड़क किनारे जिन परियोजना में पौधारोपण किया गया था। दूर दूर तक पेड़ अब दिखाई नहीं देते। लगभग चार घंटे मकड़ाई समाचार की टीम ने गांव की गलियों और खेतो की पगडंडियों पर जाकर देखा। लेकिन जिन स्थानों पर काम करना बताया गया। वहा पर पेड़ जीवित नहीं थे।
नल जल योजना में भ्रष्टाचार –
मध्यप्रदेश सरकार की इस अति महत्वाकांक्षी योजना नल जल योजना के नाम पर लाखो रुपए स्वीकृत हुए। लेकिन ग्राम पंचायत के जिम्मेदार जबाबद्दार सरपंच सचिवों की अनदेखी के कारण ये योजना अभी शुरू होने से पहले ही भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई। इस योजना में पीएचई विभाग के इंजीनियर और अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार ने घर घर जो पाइप जमीन में डाले है। वो इतने घटिया है । इतना ही नहीं पाइप को जमीन के अंदर एक से डेड फूट गड्डे में डालना था। लेकिन वो जमीन के ऊपर ही डाल दिए गए। कुछ लोगो के घरों तक नल जल योजना के पाइप नही पहुंचे। ठेकेदार ने जो सीसी सड़क पाइप डालने के लिए खोदी उसकी मरम्मत भी नही की। इस प्रकार इस योजना के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति की गई। जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को इस योजना की भी जांच करवाना चाहिए।
भूतपूर्व सरपंच पति के खाते में प्रतिमाह डाला जाता है। हजारों रुपया। आखिर क्यों !??
ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव और भूतपूर्व सरपंच पति रामेश्वर वघेला का ये रिश्ता क्या कहलाता है। जो लगातार पिछले सात वर्षों से उनके खाते में प्रतिमाह हजारों रुपए ग्राम पंचायत के खाते से कभी सेंट्रिग सामान तो कभी रेत बजरी तो कभी मजदूरी के नाम से डाला जाता है। चोरी की रेत से ग्राम पंचायत ने विकास कार्य करवाए। भूतपूर्व सरपंच पति को सादे बिल वाउचर लगाकर हजारों रुपए रेत का पैसा दिया। अगर हम भुगतान की गई राशि की बात करे तो लाखो में होगी। आखिर क्यों। ये भी जांच का विषय है।
किसी भी सड़क पर नही लगे योजनाओं के बोर्ड…
ग्राम पंचायत ने कोन सी योजना में क्या कार्य किया। कितने की उसकी लागत थी। कितनी राशि उस कार्य के लिए स्वीकृत हुई। ये बोर्ड कही भी गांव में नही लगे है।
ग्राम पंचायतों में चल रहे इस गड़बड़ झाले को लेकर जिला पंचायत सीईओ रोहित सिसोनिया जी का मकड़ाई समाचार इस खबर के माध्यम से ध्यान आकर्षित कराना चाहते है। की जनपद पंचायत में बैठे हुए पंचायत इंस्पेक्टर इंजीनियर सिर्फ टेबिल कुर्सी पर बैठकर हजारों रुपए महीने में सैलरी लेते है। लेकिन क्या उनकी जबाबदारी नही बनती की सरकार से मिली हुई। जनहित के कार्यों की राशि का ग्राम पंचायत में सदुपयोग हुआ या दुरुपयोग। ऐसे लापरवाह बेपरवाह अधिकारियों पर भी कार्यवाही होना चाहिए। हम आपको बता दे की की पूर्व में ऐसे आईएएस अधिकारी भी जिला पंचायत में रह चुके। जो हर आठ दिन की रिपोर्ट इंजीनियर से लेते थे। लेकिन अभी लंबे समय से देखने में आया है की ग्राम पंचायतों के कामकाज भगवान भरोसे चल रहे है। जिसका खामियाजा गांव के लोग भुगत रहे है। देखना होगा कि इस ग्राम पंचायत की तस्वीर कब बदलेगी।