हरदा: ग्राम पंचायत सचिव पतिराम सोलंकी ने पांचवे वित्त की राशि में की लाखो रुपए की बंदरबाट, राष्ट्रीय पर्व पर खा गए 22 हजार की मिठाई। एक परमानेंट वेंडर के खाते में डाले लाखो रुपया जांच हुई तो खुलेंगे कई राज!
वैसे तो जिले सहित ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायतो में राष्ट्रीय पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं इस पर्व की आड़ में भी भ्रष्टाचार हो रहा है। जिले की एक ग्राम पंचायत अबगांव कला ऐसी भी जहां 22 हजार से ज्यादा की मिठाई बुलवाई गई। इतनी मिठाई किसने खाई ,चर्चा का विषय बना हुआ है। बीते दिनों ग्राम पंचायत अबगांव कला के एक युवक अखिलेश जाट ने जिला जनसुनवाई में भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत भी की थी
हरदा। जिले की करीबी ग्राम पंचायत अबगांव कला में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। बीते मंगलवार गांव के ही जागरूक युवा अखिलेश जाट ने इसको लेकर जिला जनसुनवाई में एक लिखित शिकायत आवेदन देते हुए जांच कर कार्यवाही की मांग की।
ग्राम पंचायत के सचिव की अगर हम बात करे तो वो गायब रहते है। मतलब पंचायत में बहुत कम नजर आते है। फोन लगाओ तो उठाते नहीं। ओर उठा लिया तो आप बात नहीं कर सकते क्योंकि वो स्थिति में वो रहते नहीं। की आप उनसे बात कर सके। वहीं जनपद के अधिकारियों की अनदेखी के कारण उनको दो दो ग्राम पंचायत का वित्तीय प्रभार दे दिया है।
झूठा विकास और खाने पीने के नाम पांचवे वित्त की राशि का जमकर आहरण किया जा रहा है। इस राशि का उपयोग कहा किस काम से किया जा रहा है। इसकी जांच अगर निष्पक्ष हुई तो लाखो रुपए की रिकवरी निकल सकती है।
फिलहाल मकड़ाई समाचार की पड़ताल में दो मामले सामने आए पहला राष्ट्रीय पर्व पर पंचायत में 22 हजार 500 से 27 हजार तक की मिठाई का बिल का भुगतान किया है। वहीं कुछ पंचायत के सचिवो ने ईमानदारी की मिशाल भी पेश की है। उनकी पंचायत में एक हजार से पांच हजार तक के बिल लगे है।
परमानेंट वेंडर की जांच हो।
ग्राम पंचायत अबगांव कला में पांचवे वित्त की राशि की जमकर बंदरबाट की गई।इन बिलों की जांच की जाए
मनीष पचोरियां नाम के एक व्यक्ति को लगातार हजारों रुपए का भुगतान अलग अलग माह में किया गया। भुगतान किस काम से किया गया। क्या सामग्री खरीदी गई बिल ने उल्लेख सही अंकित नहीं है। इसकी जांच होना चाहिए।पंचायत दर्पण एप्प पर पारदर्शिता के लिए बिल बाउचर की प्रति साफ अंकों में और सरपंच सचिव के हस्ताक्षर सील के साथ स्कैन कर अपलोड करना चाहिए। लेकिन पारदर्शिता को दरकिनार कर मनमर्जी से बिल बाउचर धुंधले लगाए जाते है जो दिखाई नहीं देते।जिसके कारण सरकार की इस पारदर्शिता की अनदेखी कर अवहेलना की जा रही है।
आवास योजना के नाम पर भी रिश्वत लेकर कई अपात्रों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाया गया। जिसको लेकर बीते दिनों जनसुनवाई में शिकायत भी हुई थी। देखना होगा जनपद सीईओ हरदा इस मामले में क्या एक्शन लेते है।