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वाराणसी में मंथन, राष्‍ट्रपति बोले, गंगा भारतीय संस्कृति की जीवन धारा

वाराणसी। दैनिक जागरण फोरम का सोमवार को वाराणसी में आयोजन कुछ देर पहले शुरू हो चुका है। आयोजन के दौरान उत्‍तर प्रदेश में हो रहे बदलाव और विकास की संभावनाओं पर राजनीतिक व सामाजिक हस्तियों के द्वारा मंथन किया जाएगा। दैनिक जागरण फोरम के समारोह का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया। सुबह 11.45 बजे राष्‍ट्रपति ने जागरण फोरम का दीप प्रज्‍जवन कर उद्घाटन किया। इससे पूर्व राष्‍ट्रगान जागरण पब्लिक स्‍कूल के छात्रों ने किया। समारोह में राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल और प्रथम महिला सविता कोविंद भी मौजूद रहीं। सुबह 11 बजे तक सभागार पूरी तरह से भर गया और लोगों ने आयोजन पर आपस में मंथन भी शुरू किया। इस कार्यक्रम का समापन सत्र में सूबे के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ शामिल होंगे।

मंथन कार्यक्रम में ये बोले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अपने उद्बोधन के दौरान कहा कि कोरोना की वजह से मेरे विचार से साल भर की देरी से आयोजन हो पा रहा है, हमको भी सावधान रहना है। जागरण परिवार से मेरा वर्षों का संबंध रहा है, जब राज्यसभा में था तो नरेंद्र मोहन जी से मेरे अच्छे संबंध थे। लखनऊ से चलकर कानपुर में नरेंद्र मोहन जी टिफिन लाते थे, ट्रेन के खाने से उन्होंने मुझे वंचित रखा। मैंने उनसे अधिक सीखा है। कभी-कभार मुलाकात होती थी तो प्रधानमंत्री अटल जी से साथ भी मुलाकात होती थी। मेरा मानना है कि नरेंद्र मोहन जी की सोच ने लोगों का मनोबल बढ़ाया है। जागरण परिवार से मेरा संबंध रहा है।

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राष्ट्रपति ने कहा कि गंगा और हमारी संस्कृति एक दूसरे की पूरक है। इसी मां गंगा का शुद्ध होना हमारे लिए जरूरी है। हाल ही में हमने गंगा की स्वच्छता का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि गंगा की स्वच्छ्ता पर निरंतर मंथन होते रहना चाहिए। ऐस मंंथन से निकले मार्ग से जन-जन का कल्याण होगा। गंगा की अविरलता का अर्थ है कि हम मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहें। गंगा भारतीय संस्कृति की जीवन धारा है। भारत की सभी नदियों में गंगा का अंश है। देश में हर जगह गंगा के श्रद्धालु है। आस्थावान लोग अन्य देशों की नदियों में भी गंगा का रूप देखते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि यदि व्यक्ति जब डेथ बेड पर भी जाता है तो उसकी भी एक अंंतिम इच्छा होती है कि गंगा जल मुंह में पड़ जाए तो स्वर्ग मिल जाए। गंगा हमारे जीवन की शुरुआत और अंत तक हमारी पहचान है।

निरंतर आगे बढ़ने के लिए आधुनिकता और पुरातनता का सामंजस्य रखना जारी जरूरी है। राष्ट्रपति में कहा काशी भारत के सर्वाधिक भारत रत्नों की जन्मस्थली व कर्मस्थली भी रही है। इसका वाराणसी के नागरिकों को गर्व होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि पहले लोग गंगा में स्नान करने से पहले भी स्नान करके जाते थे ताकि गंगा मैली न हो।

आयोजन स्थल पर कड़े सुरक्षा प्रबंध

समारोह की तैयारियों के बीच सुबह आयोजन स्‍थल पर भारी सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। आला अधिकारियों ने तैयारियों का जायजा लिया है और गौरतलब है कि वाराणसी में ताज होटल के दरबार हॉल में किया जा रहा है।