ब्रेकिंग
कोटा: शादी के स्टेज पर लगी भीषण आग, दुल्हा- दुल्हन ने भागकर बचाई जान रतलाम में भारी बारिश: सड़को भराया पानी , आंधी से उखड़े पेड़, बिजली गिरने से दो बच्चों की मौत आखिर क्यों झुंझलाए हरदा एसपी महोदय? एसपी और व्यापारी संघ अध्यक्ष के ऑडियो से उठे सवाल ! चोरी की नीयत... मध्यप्रदेश गुजरात सीमा से लगे हरीनगर एवं काकनवानी में अति ज्वलनशील पदार्थ पेट्रोल बेचने वालों पर दल ... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 20 मई 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है। आपके भाग्य के सितारे हरदा: खनिज के अवैध परिवहन में शामिल 4 डम्पर जप्त किये, डंफर मालिक निकले ठेकेदार मंदिर में तोड़फोड़ करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार किया, प्रेस नोट में बताया चोरी के उद्देश्य से घुसे... मंत्री विजय शाह की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल लगाई रोक: इस पूरे मामले की जांच SIT कराने के... हरदा: कलेक्टर श्री जैन ने हृदय अभियान की समीक्षा की बड़ी खबर हरदा से तेंदूपत्ता तोड़ने गई आदिवासी महिला पर सूअर ने किया हमला , महिला गंभीर घायल

AIDS से भी ज्यादा खतरनाक है वायु प्रदूषण, चार साल घट रही भारतीयों की जिंदगी

वॉशिंगटन: सभी जानते हैं कि वायु प्रदूषण जीवन के लिए खतरनाक है, लेकिन हाल के एक अध्ययन में पता चला है कि वायु प्रदूषण का जीवन पर पडऩे वाला असर एचआईवी/एड्स होने अथवा सिगरेट से होने वाले नुकसान से भी घातक है। अगर भारत इस संबंध में वैश्विक दिशानिर्देशों के अनुरूप हो जाए तो वहां लोग औसतन 4.3 वर्ष ज्यादा जी सकेंगे। शिकागो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने नया वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) तैयार किया है जिससे पता चलता है कि हवा में मौजूद प्रदूषक प्रति व्यक्ति औसत जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष तक कम कर देते हैं।

- Install Android App -

एक्यूएलआई के अनुसार यह प्रदूषण विश्व भर में मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए इकलौता सबसे बड़ा खतरा है। जीवन प्रत्याशा पर इसका प्रभाव एचआईवी/ एड्स और टीबी जैसी संक्रामक बीमारी के अलावा सिगरेट पीने और युद्ध के खतरों से भी अधिक खतरनाक है। यूनिर्विसटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन कहते हैं, ‘‘आज विश्व भर में लोग ऐसी हवा में सांस ले रहे हैं जो उनके स्वास्थ्य पर बेहद खतरनाक असर डाल सकती है और जिस प्रकार से इन खतरों को दिखाया जाता है वह अपारदर्शी और भ्रमित करने वाला है। वायु प्रदूषण सघनांक प्रदूषण के स्तर को लाल, भूरा, और हरे रंग में दर्शता है। ’’

वैश्विक जनसंख्या के करीब 75 प्रतिशत लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां यह प्रदूषण डब्ल्यूएचओ के निशानिर्देश को पार कर गया है। इसके अनुसार भारत इस संबंध में वैश्विक दिशानिर्देशों के अनुरूप हो जाए तो वहां लोग औसतन 4.3 वर्ष ज्यादा जी सकते हैं।