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CG NEWS : 400 साल पहले काकतीय राजवंश के राजा ने इस शिव मंदिर करवाया था

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 रायपुर। देवों के देव महादेव को सावन का महीना बेहद प्रिय है। इस महीने में जो भक्‍त शिव मंदिरों के दर्शन करते हैं, विधि-विधान से पूजा के साथ सोमवार का व्रत रखते हैं, भगवान उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। छत्‍तीसगढ़ के जगदलपुर के इंद्रावती तट पर स्थित महादेव मंदिर  है यहां भगवान भोलेनाथ को अभिषेक करने व बेलपत्र अर्पित करने से हर मनोकामना पूरी होती है। महादेव मंदिर वर्षों से शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है|

400 साल पुराना हैे शिवमंदिर

नगर के प्रवेश मार्ग पर विराजित इस मंदिर का निर्माण करीब चार सौ साल पहले काकतीय राजवंश के तत्कालीन नरेश ने करवाया था। बताया जाता है मंदिर वास्तुशास्त्र के मानकों के अनुरूप निर्मित किया गया। वहीं वैदिक विधि विधानपूर्वक शिवलिंग की प्रतिष्ठा करवाई गई थी। यहां प्रत्येक सोमवार को भक्तों की कतार लगती है। सावन, शिवरात्रि व कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।

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भीषण बाढ़ में भी जल भगवान का स्पर्श कर वापस लौट जाता

बताया जाता है कि भारी वर्षा के कारण जब इंद्रावती उफनाती है तो गर्भस्थल में भगवान का स्पर्श कर वापस लौट जाती है। भीषण बाढ़ में भी जलस्तर शिवलिंग के ऊपर नहीं चढ़ता है। भक्त इसे भगवान शिव का चमत्कार ही मानते हैं। मान्यता यह भी है कि इंद्रावती के ताजे जल से अभिषेक करने पर अभीष्ट प्राप्त होता है। सैकड़ों वर्ष प्राचीन होने के बाद भी मंदिर क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। राज परिवार ने मूल रूप से ओडिशा निवासी जंगम परिवार को मंदिर की सेवा का दायित्व सौंपा है, जिसका निर्वहन आज भी हो रहा है।

जलाभिषेक से ही भगवान शिव प्रसन्न होते हैं

पुजारी किशन जंगम ने कहा, हमारे परिवार के लोग करीब चार सौ साल से मंदिर में सेवा कर रहे हैं। इसका निर्माण बस्तर राजपरिवार के तत्कालीन नरेश ने करवाया था। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की कामना भगवान पूरी करते हैं। महज जलाभिषेक से ही भगवान शिव प्रसन्न होते हैं तथा भक्त की कामना पूरी करते हैं।श्रद्धालु सावित्री बाई ने कहा, विवाह के बाद जब मैं इस शहर में आई तब से नियमित रूप से भगवान शिव का दर्शन-पूजन कर रही हूं। उनकी अनुकंपा से मेरी हर मनोकामना पूरी हुई है। मेरा परिवार इस मंदिर में हमेशा पूजा-अर्चना करने आता है। मन में अपार संतोष है।