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दाजी बदामी संवाद: डायरी हरदे की! 

दाजी – राम राम ! अरे आ बदामी गंज दिन बाद दिख्यो, कां गयो थो। 

बदामी – कईं नी यहीं थो। एक होटल म जुएं घूमने की खबर सुनी । जुएं लीक मारने और जुएं गुमने की बात सुन ख  अलेंग आयो । 

दाजी – सुनी तो थी कि 10 एक मुंडी में जुएं पड़ेल है । पर हाथ 8 ही आई। दो मुंडी कने कां गयी।  हरदे और खिरकिया तक बात चली। चर्चा म  “कुछ उनकी दुआ है, कुछ इनकी दुआ है। कुछ इधर हुआ है तो कुछ उधर हुआ है ।” 

बदामी- हव नी तो। यूं तो 10 सिर में लाखों बाल होयगा पर नोंचना वाला के रया कि 8 मुंडी म  56 मिल्या। 

दाजी – बदामी म न तो सुनी कि रात बिरात एक एक कखई (कंघी) 25 -25 में बिकी। खूब जुएं निकली। नोंचना आला ख हाथ माल चढ्यो और जिनने भेज्यो थो उन ख  मिल्यो बाल ! 

बदामी – हव। नोंचना का बाद होशियारचन्द ने लिखा पढ़ी में मुंडी होन ख नाव गलत सलत टीप दिया।  ताकि मुंडी की पेचान लुकी रे।  पर मोबाइल का ज़माना कईं बात छिपे कई।  निर्देशक ने शक में होटल का कैमरा टटोलने और आधार से मुंडी पेचानने बात मीडिया में के दी। अब देर रात कमरा म वीडियो बनाने वाले के माथे पे बात आ गयी। 

दाजी – कंघी फेरना में केश-लोचन होने और अंधेरे की कार्रवाई में अपना वाला हुन ख अंधेरे में रखने की खूब चर्चा चली रई बदामी ! 

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बदामी – हव नाम बताना, छुपाना की आड़ म गंज खेल हुयो देर रात। उनकी लीला वे ही जानें। मनीषी होन के गया, अपन तो सीताराम जपां । 

दाजी – आजकल होटल आला हुन भोत उड़ रया है। नियम कानून सब मुट्ठी म रखे। कोई आये तो मुट्ठी गरम कर दे। तभी तो  पेलम का एक विज्ञापन खूब चले ‘सर से मिले सर तो जूंआ को मिले नयो घर।’  जब अदमी पैसा की लालच में सं’देह’ का व्यापार करने लग जाय तब तो टाइटेनिक बन जाय। खुद भी डूब मरे और गंज की जान ले। 

बदामी – हव दाजी शराब, शबाब, कबाब  ये सब कलयुग में सवाब बनी गया है। मरन देव न …. होन ख । 

दाजी – फिलहाल नव प्रयोग और चौकसी तेज होने की भोत चर्चा है। ऐसा म कोई ज्यादा दिन नी सुहाए । सियासत निपटाने में लग जाये ह । 

बदामी – हव दाजी, जो चले ओख ही तो लंगी मारी जाय। पड़ेल को कुण गिराय। एक समय एक सिंह असो भी थो कि अपने नीचे वाला होन से चड्डी बनियान तक बुलवाई लेतो थो। 

दाजी – केरे बदामी, जब नशे में कोई अदमी को पुलिस पकड़े तो ओको मेडिकल हॉस्पिटल में होय फिर कार्रवाई होय , जब हॉस्पिटल में कोई कर्तव्य पद पे नशे में अपशब्द केय तो ओको मेडिकल व इलाज कां होय? 

बदामी – या बड़ी भारी दी दाजी, अब सीएमएचओ जानें या माइक वन जानें ! सीताराम सीताराम बोल