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सोयाबीन किसानों की बढ़ी मुश्किलें: न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे पहुंचे दाम, जानें मंडियों का ताजा हाल

मौजूदा समय में सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई राज्यों में सोयाबीन की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी नीचे चली गई है। यह स्थिति न सिर्फ किसानों के मुनाफे पर असर डाल रही है, बल्कि उनके रोज़गार और भविष्य की योजनाओं को भी प्रभावित कर रही है। खासतौर से महाराष्ट्र जैसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य में हालात चिंताजनक बने हुए हैं।

सोयाबीन के दामों में गिरावट क्यों?

सोयाबीन एक प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका उपयोग खाद्य तेल के उत्पादन में किया जाता है। लेकिन इस साल बाजार में सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट आई है। कई मंडियों में दाम MSP से 2000-2500 रुपये तक कम चल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में कमी, आपूर्ति की अधिकता और खरीद प्रक्रिया में देरी की वजह से हो रही है।

महाराष्ट्र में मंडियों का ताजा हाल

महाराष्ट्र में किसानों की स्थिति और भी ज्यादा खराब है। यहां कई मंडियों में सोयाबीन के दाम MSP से नीचे चल रहे हैं।

  • सिलोड मंडी: न्यूनतम कीमत 4000 रुपये, अधिकतम 4250 रुपये, मॉडल प्राइस 4200 रुपये।
  • उदगीर मंडी: न्यूनतम 4150 रुपये, अधिकतम 4350 रुपये, मॉडल प्राइस 4250 रुपये।
  • राहुरी मंडी: न्यूनतम 4050 रुपये, अधिकतम 4350 रुपये, मॉडल प्राइस 4200 रुपये।
  • भिवापुर मंडी: न्यूनतम 3100 रुपये, अधिकतम 4300 रुपये, मॉडल प्राइस 3700 रुपये।

अन्य राज्यों की स्थिति

महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी सोयाबीन के दाम कम होने की खबरें हैं।

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  • झाबुआ (मध्य प्रदेश): न्यूनतम 4000 रुपये, अधिकतम 4100 रुपये।
  • ललितपुर (उत्तर प्रदेश): न्यूनतम 3900 रुपये, अधिकतम 4400 रुपये।
  • धार (मध्य प्रदेश): न्यूनतम 4000 रुपये, अधिकतम 4100 रुपये।

सरकार की योजनाएं और वादे

पिछले कुछ चुनावों में सोयाबीन किसानों की समस्याएं राजनीतिक मुद्दा बन चुकी हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री ने किसानों से 6000 रुपये प्रति क्विंटल MSP का वादा किया था। साथ ही केंद्र सरकार ने 15% नमी वाले सोयाबीन की खरीद की अनुमति भी दी। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद किसानों को कोई बड़ी राहत नहीं मिली।

महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने भी सोयाबीन पर 7000 रुपये प्रति क्विंटल MSP देने का वादा किया था। लेकिन हकीकत यह है कि मौजूदा MSP 4892 रुपये से ज्यादा दाम सिर्फ कुछ ही मंडियों में देखने को मिल रहे हैं।

किसानों को कैसे हो सकता है फायदा?

सरकार को चाहिए कि वह सोयाबीन की सरकारी खरीद प्रक्रिया में तेजी लाए और मंडियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करे। इसके अलावा, किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण और बाजार की बेहतर जानकारी देकर उनकी आय बढ़ाने में मदद की जा सकती है।

सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों की समस्याओं का जल्द समाधान जरूरी है। मंडियों में सही दाम नहीं मिलने से किसान घाटे में हैं, और उनका भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है। अगर सरकार ने जल्दी कदम नहीं उठाए, तो किसानों का खेती से भरोसा उठ सकता है। उम्मीद है कि आने वाले समय में सरकार और बाजार दोनों की ओर से किसानों को राहत मिलेगी।

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