Harda News: हरदा के विधायक डॉक्टर आर के दोगने ने प्रदेश की बदहाल व्यवस्था को लेकर विधानसभा में उठाई आवाज,बजट पर उठाए सवाल! बोले कागजी बजट है
हरदा : हरदा विधायक डॉ रामकिशोर दोगने द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि यह जो तीन लाख 67 हजार करोड रुपए का बजट आया है यह सिर्फ कागजी बजट है।
इसको बजट नहीं कहना चाहिए यह प्रोजेक्ट रिपोर्ट है। बजट में बहुत बड़ी-बड़ी बातें की गई है परंतु जमीन पर देखे तो कुछ भी नहीं है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बजट में बताया गया है कि हम स्कूल बना रहे है, कॉलेज बना रहे हैं, दूध उत्पादकों को लाभ दे रहे हैं, गौशालाएं बना रहे हैं,।
लाडली बहना को लाभ दे रहे है परंतु देखेंगे तो कुछ भी नहीं है। पुराने बजट को ही तोड़ मरोड़ के पेश किया गया है। इसके साथ ही विधायक डॉ. दोगने द्वारा हरदा जिले के विकासशील मुद्दों को भी सदन में उठाया गया। हरदा विधायक के निज सहायक गौरव सराठे द्वारा जानकारी साझा करते हुए बताया गया कि हरदा विधायक डॉ. दोगने द्वारा सदन में कहा गया कि आज वर्तमान में 80 प्रतिशत शासकीय स्कूलों को प्रभारी प्रचार्य चला रहे है। विद्यालयो में शिक्षकों की कमी है। शासकीय महाविद्यालयो को प्रभारी प्राचार्य चला रहे है, शासकीय अस्पतालों में डॉक्टर की कमी है।
भाजपा द्वारा अपने संकल्प पत्र में कहा गया था कि किसानों का गेहूं 2700 रुपए कुंटल खरीदेंगे, लाडली बहना को 3000 रुपये प्रति माह देंगे परंतु बजट में इनका कोई प्रावधान नहीं है। प्रदेश में मूंग खरीदी पिछले साल 15 कुंटल 90 किलो प्रति एकड़ से की गई थी परंतु वर्तमान में 03 कुंटल प्रति एकड़ खरीदा जा रहा है जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। नेहरो की सफाई नहीं हो रही है, बड़े-बड़े डैम स्वीकृत होकर पड़े हैं परंतु उन डेमो को बनवाया नहीं जा रहा है। हरदा जिले में भी गंजाल मोरन डेम जो की बहुत बड़ा डेम है।
स्वीकृत है परंतु अधिकारियों की लापरवाही के कारण टेंडर होने के बाद भी वह 3 साल से रूका हुआ है। इसी तरह केन बेतवा डेम भी स्वीकृत है परंतु उसका कार्य रुका हुआ है। जितनी भी नहरे खुदी ही हुई है उन नेहरो की लाइनिंग खत्म हो गई है साथ ही उनकी गाद भी नहीं निकल जा रही है जिसके कारण किसानों को कम पानी मिल रहा है। दूध उत्पादक जो कि किसानों से जुड़ा हुआ है उसके लिए 150 करोड रुपए का बजट दिया गया है, जबकि एक प्लांट लगाने में ही 150 करोड रुपए लगते हैं तो यह बजट किस आधार पर दिया गया है, जो कि समझ से परे है। गौशालाओं के लिए 250 करोड रुपए का बजट रखा गया है परंतु 250 करोड रुपए में गौशालाओं का क्या होगा, जो गौशालाएं पहले से ही बनी हुई है ।
उनकी व्यवस्था ठीक से नहीं की जा रही है। जिसके कारण गौ-माता सड़क पर है और रोज के एक्सीडेंट हो रहे है। ट्रैकों में गौ-माता को पकड़ा जा रहा है, जो की काटने के लिए ले जाई जाती है। उसे रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहे है। इसके साथ ही बच्चों को ई-स्कूटी देने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। आंगनबाड़ियों की व्यवस्था सुधार के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। जब नवजात बच्चे का जन्म होता है तो उसकी शुरुआत आंगनवाड़ी से ही होती है परंतु सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। हरदा जिले में मुहाल माइनर का कार्य विगत 4 वर्षों से अधिकारियों की लापरवाही के कारण रुका हुआ है। जबकि इसका लोकार्पण किया जा चुका है एवं राशि भी स्वीकृत हो चुकी है। मुहाल माइनर नहीं बनने से किसानों का 100 करोड रुपए साल का नुकसान हो रहा है इस हिसाब से 4 साल का 400 करोड रुपए का नुकसान हो गया है परंतु सरकार इस और ध्यान नहीं दे रही है। हरदा जिले में लॉ कॉलेज विगत तीन-चार सालों से जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण रुका हुआ है। परंतु इसके लिए जवाबदार अधिकारियों पर सरकार की और से कोई कार्यवाही नही की जा रही है।
हरदा जिले में हंडिया गांगला सड़क मार्ग, हंडिया से गुलास सड़क मार्ग एवं ऐसे ही अन्य सड़क मार्ग कई वर्षों से स्वीकृत है। परंतु इनका कार्य पूर्ण नहीं किया जा रहा है। हरदा जिले में हंडिया बैराज का कार्य स्वीकृत किया गया है परंतु उसका प्लांट डिक्लेयर नहीं किया जा रहा है जिससे की कौन-कौन सा क्षेत्र डूब में आएगा, किसकी जमीन अधिग्रहण की जाएगी। यह स्पष्ट नही हो रहा है। हरदा जिले के आदिवासी क्षेत्र मगरधा, मोरगड़ी एवम हंडिया में महाविद्यालय एवं आदिवासी छात्रावास की आवश्यकता है छात्र-छात्राओं को दूर स्थित महाविद्यालय में अध्ययन के लिए आना-जाना पड़ता है। हरदा जिला कृषि प्रधान जिला है इस हेतु पूर्व मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री की घोषणा के बाद भी कृषि महाविद्यालय शुरू नहीं हो सका है।
हरदा जिले में फोरलेन सड़क मार्ग पर जो सड़के अधूरी पड़ी है उन पर अवैध टोल वसूली का काम किया जा रहा है परंतु सरकार द्वारा इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हरदा जिले में जितने भी शासकीय हाई स्कूल हैं उन स्कूलों को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उन्नयन किया जाना चाहिए। जिससे कि छात्र-छात्राओं को अपनी आगे की पढ़ाई के लिए दूर स्थित विद्यालयों में न जाना पड़े और बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके क्योंकि शिक्षा रूपी चाबी हर ताले में लगती है। यदि प्रदेश के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलेगी तो निश्चित ही उसका विकास भी अच्छा होगा इसलिए सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा काम करने की आवश्यकता है चाहे वह प्रदेश सरकार हो या देश की सरकार हो।