हिंदू धर्म में जिस प्रकार से देवों की पूजा आराधना के लिए अलग-अलग माह समर्पित हैं, उसी तरह आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में देव तुल्य पितरों की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष में अपने वंशजों के आह्वान पर देव-पितर धरा पर आते हैं। श्राद्ध-तर्पण से संतुष्ट होने के बाद सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर अपने धाम को चले जाते हैं। ज्योतिर्विद इस काल को पितरों की आराधना का पुण्य काल बताते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस काल में भू-भवन, धन-संपत्ति आदि की खरीद की जाए तो पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है।
खरीदी बिक्री की मनाही का शास्त्रों में जिक्र नहीं