ब्रेकिंग
आपरेशन सिन्दूर मे उपयोग अस्त्र के बारे में राहुल गांधी के सवाल पर भड़के भाजपा नेता हंडिया : पीएम श्री गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में 20 दिवसीय ग्रीष्मकालीन समर कैंप का आज हुआ समापन भारत में फिर लौटा कोरोना: सावधान भारत में मिल रहे कोरोना के मरीज!  मंगलवार तक 257 मरीज मिले 2की हुई... कोटा: शादी के स्टेज पर लगी भीषण आग, दुल्हा- दुल्हन ने भागकर बचाई जान रतलाम में भारी बारिश: सड़को भराया पानी , आंधी से उखड़े पेड़, बिजली गिरने से दो बच्चों की मौत आखिर क्यों झुंझलाए हरदा एसपी महोदय? एसपी और व्यापारी संघ अध्यक्ष के ऑडियो से उठे सवाल ! चोरी की नीयत... मध्यप्रदेश गुजरात सीमा से लगे हरीनगर एवं काकनवानी में अति ज्वलनशील पदार्थ पेट्रोल बेचने वालों पर दल ... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 20 मई 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है। आपके भाग्य के सितारे हरदा: खनिज के अवैध परिवहन में शामिल 4 डम्पर जप्त किये, डंफर मालिक निकले ठेकेदार मंदिर में तोड़फोड़ करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार किया, प्रेस नोट में बताया चोरी के उद्देश्य से घुसे...

Statue of Unity: मोदी बोले, पटेल न होते तो शिवभक्तों को लेना पड़ता सोमनाथ तक का वीजा

केवडिय़ा (गुजरात): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा को लोकर्पण करते हुए कहा कि यह भारत को विखंडित करने के प्रयासों को विफल करने वाले व्यक्ति के साहस की याद दिलाती रहेगी। गुजरात के राज्यपाल ओ. पी.कोहली, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ के लोकार्पण के दौरान मौजूद थे। प्रतिमा का लोकार्पण सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर हुआ।
मोदी के संबोधन के प्रमुख अंश

- Install Android App -

  • यदि सरदार पटेल ने देश का एकीकरण नहीं किया होता तो हमें बब्बर शेरों को देखने, सोमनाथ के दर्शन करने और हैदराबाद में चारमीनार देखने के लिए वीजा की जरूरत पड़ती।
  • जो लोग भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं उन्हें यह प्रतिमा सदा याद दिलाती रहेगी कि यह देश था, है और हमेशा रहेगा।
  • स्टैचू ऑफ यूनिटी’ देश की इंजीनियरिंग और तकनीकी कौशल का उदाहरण है।
  • स्टैचू ऑफ यूनिटी का लोकार्पण देश के लिए ऐतिहासिक पल है और इसे इतिहास से कभी कोई नहीं मिटा सकता।
  • महापुरुष की दुनिया की यह सबसे ऊंची मूर्ति नए भारत के युवाओं के आत्मविश्वास की भी अभिव्यक्ति है।
  • कुछ लोग राजनीतिक चश्मे से देखने और इसके लिए उनकी आलोचना करने का दु:साहस कर रहे हैं। यह मूर्ति न केवल गुजरात के इस आदिवासी बहुल इलाके को एकता का तीर्थ बना देगी बल्कि इसके और यहां के निवासी आदिवासियों के विकास का भी रास्ता खोलेगी।
  • सरदार पटेल के सम्मान के लिए हमारी आलोचना की जाती है। ऐसा महसूस कराया जाता है जैसे हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। क्या महापुरुषों को याद करना अपराध है।
  • देश-भक्ति की भावना के बल पर ही हमारी सभ्यता हजारों वर्षों से फल फूल रही है। किसी भी देश इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं जब वो पूर्णता का एहसास कराते है।
  • यह वह पल होता है जो किसी राष्ट्र के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है, उसे मिटा पाना बहुत मुश्किल होता है, आज का यह दिन भी भारत के इतिहास के ऐसे ही कुछ क्षणों में से एक महत्वपूर्ण पल है।
  • यह प्रतिमा इतिहास का एक सुनहरा पन्ना बनने के साथ ही भविष्य के लिए प्रेरणा का गगनचुंबी आधार भी बना है।

    बता दें कि यह प्रतिमा अमेरिका में स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ से करीब दो गुनी ऊंची है और गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास साधु बेट नामक छोटे द्वीप पर स्थापित की गई है। इस प्रतिमा के निर्माण में 70,000 टन से ज्यादा सीमेंट, 18,500 टन री-एंफोंर्समेंट स्टील, 6,000 टन स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसा का इस्तेमाल हुआ है।