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सागर कलेक्टर की भ्रमित पोस्ट को लेकर केदार सिरोही ने लिखा आपत्ति पत्र, दिग्विजय सिंह ने केदार सिरोही को लेकर लिखी पोस्ट, केंद्रीय कृषि मंत्री ने नैनो टैगिंग न करने के दिये आदेश 

मुकेश पाण्डेय

मकड़ाई एक्सप्रेस भोपाल/हरदा –पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर हरदा के किसान नेता  केदार सिरोही की तारीफ करते हुए उनके कलेक्टर सागर को लिखे पत्र का अपने फेसबुक पेज पर उल्लेख किया है। पोस्ट के अनुसार केदार सिरोही के इस आपत्ति पत्र के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री ने भी नैनो टैगिंग ना करने के आदेश दिए हैं।

 

इधर, किसान नेता केदार सिरोही ने बताया कि 17 जून 2025 को कलेक्टर कार्यालय, सागर की आधिकारिक फेसबुक आईडी (@CollectorOfficeSagar) द्वारा प्रसारित एक पोस्ट को लेकर मैंने कलेक्टर सागर को पत्र लिखा। । सागर कलेक्टर कार्यालय की अधिकृत फेसबुक पोस्ट में नैनो यूरिया तथा नैनो डीएपी को पारंपरिक उर्वरकों के पूर्ण विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो कि वर्तमान वैज्ञानिक अध्ययनों एवं प्रतिष्ठित कृषि अनुसंधान संस्थानों के निष्कर्षों के अनुरूप नहीं है। यह एक तरीके से किसानों को भ्रमित करने वाला हैं। केदार सिरोही के पत्र के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा नैनो टैगिंग ना करने के आदेश दिए गए।

क्या लिखा दिग्विजय सिंह ने केदार सिरोही को लेकर –

कॉंग्रेस के किसान नेता केदार सिरोही जी एक जागरूक किसान नेता हैं और लगातार निर्भीक होकर किसानों की आवाज बुलंद करते रहे हैं । उनका कलेक्टर सागर को लिखा पत्र अवश्य पढ़ें ।

अब तो केंद्रीय कृषि मंत्री जी ने भी Nano Tagging ना करने के आदेश दिए हैं।

 

◆ क्या है केदार सिरोही का पत्र

 

प्रति,

माननीय कलेक्टर महोदय,जिला सागर, मध्य प्रदेश। 

 

विषय: नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी को पारंपरिक उर्वरकों के विकल्प के रूप में प्रचारित किए जाने संबंधी फेसबुक पोस्ट (दिनांक 17 जून 2025, समय 4:46 PM) पर आपत्ति एवं आवश्यक सुधार हेतु निवेदन। 

 

महोदय,

निवेदन है कि मैं, एक जागरूक किसान नेता एवं कृषि विषयों से दीर्घकाल से संबद्ध व्यक्ति के नाते, दिनांक 17 जून 2025 को कलेक्टर कार्यालय, सागर की आधिकारिक फेसबुक आईडी (@CollectorOfficeSagar) द्वारा प्रसारित एक पोस्ट पर गंभीर चिंता व्यक्त करता हूँ। उक्त पोस्ट में नैनो यूरिया तथा नैनो डीएपी को पारंपरिक उर्वरकों के पूर्ण विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो कि वर्तमान वैज्ञानिक अध्ययनों एवं प्रतिष्ठित कृषि अनुसंधान संस्थानों के निष्कर्षों के अनुरूप नहीं है।यह एक तरीके से किसानों को भ्रमित करने वाला हैं.

वैज्ञानिक एवं शोध आधारित तथ्यों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

1. नैनो यूरिया:

    * 500 मि.ली. नैनो यूरिया में केवल 20 ग्राम नाइट्रोजन होता है, जबकि एक बोरी (45 किग्रा) पारंपरिक यूरिया में 20.7 किग्रा नाइट्रोजन उपलब्ध होता है।

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    * ICAR-IARI तथा IFFCO सहित विभिन्न अनुसंधानों से यह स्पष्ट हुआ है कि नैनो यूरिया को वर्तमान में पूरक पोषक तत्व के रूप में ही उपयोग की संस्तुति की गई है, न कि मुख्य स्रोत के रूप में इसलिए आप इसको वैकल्पिक ना बताए।

2. नैनो डीएपी:

    * नैनो डीएपी में 8% नाइट्रोजन तथा 16% फॉस्फोरस उपलब्ध होता है, जबकि पारंपरिक डीएपी में 18% नाइट्रोजन एवं 46% फॉस्फोरस होता है।

    * ICAR-CRRI और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा प्राप्त निष्कर्षों के अनुसार नैनो डीएपी फसलों की संपूर्ण पोषक आवश्यकता की पूर्ति में अक्षम है।इसलिए आप इसको वैकल्पिक ना बताए।

फसल पोषण संबंधी यथार्थ आवश्यकताएं: जैसे कि धान की फसल प्रति टन उपज हेतु 20-25 किग्रा नाइट्रोजन, 10-12 किग्रा फॉस्फोरस (P₂O₅) तथा 15-20 किग्रा पोटाश (K₂O) की आवश्यकता रखती है। एक एकड़ में औसत उपज हेतु लगभग 40-50 किग्रा यूरिया और 50 किग्रा डीएपीका प्रयोग वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उचित माना गया है।

भ्रामक जानकारी के संभावित दुष्परिणाम:

* उपर्युक्त फेसबुक पोस्ट से यह धारणा बनती है कि किसान नैनो उर्वरकों से पारंपरिक उर्वरकों की पूर्ति कर सकते हैं, जो कि प्रायोगिक तथ्यों के विपरीत है।

* ऐसी जानकारी किसानों के निर्णयों को भ्रमितकर सकती है, जिससे फसल की उपज, गुणवत्ता, एवं मृदा की उर्वरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।

* साथ ही, यह प्रचार पारंपरिक उर्वरकों की संभावित कमी को तर्कहीन रूप से ढकने का प्रयास भी प्रतीत होता है।

अतः, आपसे निम्नलिखित आवश्यक निवेदन किए जाते हैं:

1. कलेक्टर कार्यालय द्वारा प्रकाशित उपरोक्त पोस्ट को यथाशीघ्र संशोधित कर यह स्पष्ट किया जाए कि नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी पारंपरिक उर्वरकों के वैकल्पिक नहीं, पूरक स्रोत हैं।

2. जिले में पारंपरिक उर्वरकों की उपलब्धतासुनिश्चित करने हेतु आवश्यक प्रशासनिक कदम उठाए जाएं, ताकि किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

3. कृषि विभाग के माध्यम से वैज्ञानिक एवं संतुलित पोषण प्रबंधन विषयक तथ्यात्मक जानकारी का प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाए, जिससे कृषकों को वास्तविक तथ्यों के अनुरूप मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।

किसानों के हित की रक्षा तथा दीर्घकालिक कृषि स्थिरता की दृष्टि से यह अत्यंत आवश्यक है कि उन्हें प्रत्येक तकनीकी नवाचार के विषय में सत्य एवं वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध कराई जाए। आपके स्तर से इस विषय में संवेदनशीलता एवं उत्तरदायित्वपूर्ण कार्रवाई की अपेक्षा है।

सादर,

केदार सिरोही, पूर्व सदस्य, कृषि सलाहकार परिषद, मध्य प्रदेश, मोबाइल: 9669800050