एकलव्य आवासीय आदिवासी केंद्रीय विद्यालय चित्रकूट, सतना में कम्प्यूटर साइंस -शिक्षक पद पर चयन हुआ हरदा के 23 वर्षीय युवक लोकेश यादव का! परिवार में हर्ष!
हरदा। लक्ष्य अगर निर्धारित है तो एक न एक दिन सफलता जरूर मिलती है। कुछ ऐसा ही सपना हरदा के एक किसान के बेटे ने देखा था। और उसका सपना पूरा हुआ। जी हां हम बात कर रहे है। हरदा जिले के करणपूरा निवासी एक युवक लोकेश यादव पिता भगवान यादव उम्र 23 वर्ष की। जो की एक मध्यम वर्गीय किसान का बेटा है। लोकेश यादव ने जिस नवोदय विद्यालय में बचपन में पढ़ने का सपना देखा था लेकिन सार्थकता में तब्दील नहीं हों सका परन्तु आज उसी के समकक्ष एकलव्य आवासीय विद्यालय में वरिष्ठ अध्यापक के रूप में चयन होने से वो बहुत खुश है। और परिवार में हर्ष व्याप्त है। मकड़ाई एक्सप्रेस से चर्चा में लोकेश ने बताया की।
एकलव्य आवासीय आदिवासी केंद्रीय विद्यालय चित्रकूट, सतना मध्यप्रदेश में कक्षा 11-12वी के बच्चों को पढ़ाने हेतु पीजीटी(पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) कम्प्यूटर साइंस -शिक्षक पद पर चयन हुआ है। और आज विद्यालय में श्री प्राचार्य सर एवम साथी शिक्षको की उपस्तिथि में कार्यभार ग्रहण किया।।लोकेश ने बताया की इस पद पर नियुक्त होना मेरे लिए गर्व का विषय है। जिस नवोदय विद्यालय में बचपन में पढ़ने का सपना देखा था लेकिन सार्थकता में तब्दील नहीं हों सका परन्तु आज उसी के समकक्ष एकलव्य आवासीय विद्यालय में वरिष्ठ अध्यापक के रूप में चयन होना
, भगवान ने मुझे शिक्षा दान के पवित्र काम के लिए चुना। यह क्षण मेरे व परिवार लिए भाव विभोर कर देने वाले हैं। यह दिन मेरे लिए ऐतिहासिक है जब वर्षो की अथक मेहनत आज सार्थकता में आकर ले रहीं हैं।
उन्होंने मकड़ाई एक्सप्रेस से चर्चा में आगे बताया की सरकारी नौकरी की तैयारी की राह आसन नही होती है। यहां आपको हर तरीके जलील होना है, भिन्न भिन्न परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। अपने जीवन के 4-5 वर्ष लगाना जहां सफलता की दर 1% हों, आर्थिक, सामाजिक व अन्य ढेर सारी समस्या को साथ लेकर दिमाग को एकाग्रचित करके पढ़ाई में लगाना बहुत कठिन होता है।
लेकिन परिवार का साथ सहयोग व उनके आशीर्वाद से यह संभव हो सका। 22 जनवरी की तिथि मेरे लिए सदैव स्मरणीय रहेगी संयोग है! भगवान राम का अयोध्या में प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम एवम उसी दिन मेरा आल इंडिया में 172 पदो (46 पद ओबीसी के लिए आरक्षित) पर आयोजित परीक्षा परिणाम की जारी सूची में मेरा नाम होना।
मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि शिक्षा के क्षेत्र अति पिछड़े की श्रेणी में है, गांव करणपुरा आदिवासी जनसंख्या बाहुल्य जिले के अंतिम बिंदु मां नर्मदा के किनारे पर स्थित है जहां निम्नस्तरीय आर्थिक,सामाजिक व एक अच्छी शिक्षा का पूर्णत अभाव रहा। इन विषम परिस्तिथि में अपनी प्रारंभिक 8वी तक की अपने गांव की सरकारी स्कूल में पूर्ण किया। एवम आगे की पढ़ाई परिवार के सहयोग से हरदा से किया। मेरा यह उत्साह, खुशी दोगुनी हों जाती है, जब भूतकाल का स्मरण करता हू तो एक अति पिछड़े गांव से निकलकर आज दुनिया के आधुनिकतम विषय कंप्यूटर साइंस में परास्नातक की उपाधि प्राप्त कर महज 23 वर्ष की उम्र में लेवल 8, 4800ग्रेड पे पर आज स्कूल शिक्षको में सबसे बडी पोस्ट पर चयनित होना. मेरे व परिवार के लिए गर्व का विषय है। इस भर्ती प्रक्रिया में पूरे भारत वर्ष में पीजीटी शिक्षकों में मुझे सबसे कम उम्र में चयन लेने का गौरव भी प्राप्त हुआ।
इस सफलता का श्रेय पापा परिवार गुरुजनों जिन्होंने मुझे अच्छी शिक्षा दी मेरा मार्गदर्शन किया। सभी दोस्त लोग जिन्होंने मुझे अच्छी संगति व माहोल प्रदान किया सरकारी नौकरी की तैयारी की दौरान मन असफलताओं से विचलित हों जाता था।
लेकिन आप सबका ढांढस मुझे उस विषम परिस्थिति बहार लाकर पुनः तैयारी की लिए प्रोत्साहित करता था। आप सबका सहयोग मार्गदर्शन व भगवान के आर्शीवाद से यह खुशी मानने का अवसर मिला ।