मकड़ाई एक्सप्रेस 24 शहडोल : मौसम के परिवर्तन के साथ छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम अपचन जैसी समस्या होती ही हैं। इस दौरान खान-पान का सही ध्यान न रखने के कई प्रकार शारीरिक समस्या हो जाती है। आदिवासी अंचलो में आज भी छोटी-मोटी बिमारियों के लिए दागना प्रथा से घरेलू इलाज लोग करते है। ऐसा ही एक मामला अनूपपुर जिले के राजेंद्रग्राम ब्लाक के ताराडांड में रहने वाली तीन माह की एक मासूम बच्ची दुर्गेश्वरी को बुरी तरह से दागा गया। मासूम को उसकी मां ने ही दागा है। हालत बिगड़ने पर पिता ने अस्पताल में भर्ती कराया जहां उपचार के दौरान मासूम बच्ची की मौत हो गई। मिली जानकारी अनुसार ताराडांड निवासी दुर्गेश्वरी उम्र 3 माह को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी उसका पेट फूल रहा था। जब परिवार के लोग 28 दिसंबर को घर पर कोई नहीं था। इस दौरान बच्ची की मां ने ही चूडी गर्म कर मासूम बेटी को जगह-जगह दाग दिया।बच्ची की हालात और बिगड़ गई। किसी ने बच्ची के पिता मोहन सिंह को फोन कर बताया कि तुम्हारी बेटी को तुम्हारी पत्नी ने दाग दिया है आनन-फानन में वह खेत से घर आया और बेटी को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजेंद्रग्राम लेकर गया। वहां से डाक्टर ने उसे जिला अस्पताल अनूपपुर भेज दिया। यहां पर इस बच्ची को भर्ती किया गया।अनूपपुर में हालत बिगड़ने पर इस बच्ची को 30 दिसंबर की सुबह 4:50 पर शहडोल के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। 31 दिसंबर की सुबह 3:00 बजे इस बच्ची की मौत हो गई है यानी की बच्ची वेंटिलेटर पर 24 घंटे भी नहीं रह पाई। अंधविश्वास और रुढ़ीवादी परंपराओ के चलते एक मासूम की जान चली गई। अशिक्षा और अंधविश्वास के कारण आज भी इस प्रकार की घटनाएं हो रही है।
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