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Big News : ब्रिटेन में चुनाव से भारत के व्यापार पर क्या असर पड़ेगा पढ़िए पूरी खबर

 ब्रिेटेन के प्रधानमंत्री  ऋषि सुनक ने भी ब्रिटेन में चुनाव कराने की घोषणा कर दी है

ब्रिटेन में चुनाव से भारत में रुक सकता है व्यापार

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 दिल्ली : अभी वर्तमान में भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। जिसका परिणाम आगामी 4 जून को होगा। इसी के चलते ब्रिेटेन के प्रधानमंत्री  ऋषि सुनक ने भी ब्रिटेन में चुनाव कराने की घोषणा कर दी है। इस मामलें में यूके ट्रेड पॉलिसी प्रोजेक्ट के निदेशक डेविड हेनिग ने कहा कि जनता के बीच लेबर पार्टी भारत.ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते एफटीए का समर्थन करती रही है। इस समझौते को बनाए रखने के लिए सरकार दबाब बना सकती है। इधर जुलाई में सुनक ने चुनाव कराने की घोषणा की है तो भारत मुक्त व्यापार समझौते में अब हस्ताक्षर होने में देरी हो सकती है। क्योकि इधर भारत में जून में सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरु होगी तो उधर ब्रिटेन में जुलाई से चुनाव की कवायद। इसी कारण भारत ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता अब देर से होगा। जबकि संबधित व्यापारी तो इस करार के लिए जून और जुलाई में होने की उम्मीद कर रहे थें। इधर ब्रिटेन के प्रोडक्ट भारतीय बाजार में उतारने को पहले से तैयार विदेशी कंपनिया सिर्फ दोनो देश हालात सामान्य होने की राह देख रही है।

सरकार दोनो देशो की ऐसी हो जो मुक्त व्यापार  का समर्थन करती हो –

अब नई सरकार दोनो देशो की ऐसी हो जो मुक्त व्यापार एटीएफ का समर्थन करती हो। अब हालात क्या होगें यह तो जुलाई में ही पता चल पायेगा। इधर ब्रिटेन मे जो भी सरकार बनेगी वह तो भारत ब्रिटेन मुक्त व्यापार के समर्थन में हैं क्योकि इससे उनके देश को व्यापार मिलेगा। आय की आमद भी होगी। दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनी भारतीय बाजार पर अपनी निगाहें जमाए हुए है।

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ब्रिटेन में जल्दी चुनाव कराने से व्यापार करार में और देरी होगी –

भारत लोेकसभा चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के साथ ही जुलाई में ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद कर रहा था। अब ब्रिटेन में जल्दी चुनाव कराने की घोषणा से व्यापार करार में और देरी होगी। इस अहम व्यापार करार पर वार्ता 2022 में शुरू हुई थी। इसे उसी साल दीवाली तक पूरा करने का लक्ष्य था। दोनों पक्षों ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की मगर द्विपक्षीय निवेश संधि, द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा समझौता और कार्बन बॉर्डर कर जैसे मसलों का अभी पूरी तरह से समाधान नहीं हो पाया है।

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